अभिव्यक्ति
A way of expressing my thoughts. Hindi Poems, Urdu shayari
शनिवार, 9 अक्तूबर 2021
पहला प्रभाव
मंगलवार, 31 अगस्त 2021
सोमवार, 13 अप्रैल 2020
फिर कोई
बुधवार, 4 सितंबर 2019
बुधवार, 25 अप्रैल 2018
कैसा है?
उनसे दूर दिल का हाल कैसा है?
मत पूछ हमसे ये जंजाल कैसा है?
हम जागते-सोते हैं बस तसव्वुर में उनके
ना जाने उनका हुस्न-ओ-जमाल कैसा है?
मेरे हर सवाल का जवाब हैं वो
पर मेरे हर जवाब पर सवाल कैसा है?
उनकी खुशी की खातिर लुट जाऊं मैं आगर
तो मेरे लुटने पर ये बवाल कैसा है?
उनकी ख्वाहिशें मेरी मंजिलें बन गयीं हैं
मेरी ख्वाहिशों का ये इकबाल कैसा है?
मेरे प्रेम की इक़्तिज़ा सिर्फ वो हैं 'आखिर'
मेरे दिल का उन पर इख्तियार ऐसा है!
||आखिर||
शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2017
होता है।
आसमान ज़रा ख्वाहिशों से उपर होता है
मोहब्बत में इंसान कहां ज़मीन पे होता है।।
जब भी सुनता हूं उसे ज़माने की खामोशी में
यूं लगता है मेरा रहनुमा यहीं पर होता है ।।
बहुत कुछ कहता हूं उनसे पर मेरी सुनता कौन है?
उनका ध्यान तो शायद और कहीं पर होता है।।
इकरार ,इजहार, इबादत,दुआ सब करता हूं मैं
मेरा यार जब मेरी सरजमीं पर होता है।।
वो पागल सी है अल्हड़ अपने अंदाज में पर अशकिम
मेरा प्यार बस उसी के लिए होता है ।।
मोहब्बत करती है वो और बताती भी है "आखिर"
की उनका समय भी बस मेरे लिए होता है ।।
।।आखिर।।
मंगलवार, 26 सितंबर 2017
मिलती कहाँ है?
खरीदारी है ईमान की रवादारी मिलती कहाँ है?
ये सियासत है यहाँ वफादारी मिलती कहाँ है?
गलतियाँ हो जाती है लड़कों से सुनते हैं हम मगर
लड़कियों को यहाँ पहरेदारी मिलती कहाँ है?
जब कभी निकलतीं हैं वो सड़कों पर अपने हक की खातिर
लाठियाँ मिलती हैं उन्हें जवाबदारी मिलती कहाँ है?
कैसे किसी रिश्ते पर यकीन करें वो लोग "आखिर"
इतने वहशी माहौल में अब समझदारी मिलती कहाँ है?
।।आखिर।।
पहला प्रभाव
वो जो आसमान में तारे टिमटिमा रहे हैं बहुत दूर हैं शायद , सारे टिमटिमा रहे हैं ॥ कल तक जो दिखते ना थे अंदर से वो जुगनू आज सारे जगमगा रहे हैं ...
-
कभी तो याद करो ऐसे कि आँखों में नमी न हो हमसे तुम मिलती रहो यूँ कि सांसों कि कमी न हो कभी भी दूर न हो तू यही दुआ है मेरी बा खुदा बिन तेरे अब...
-
फिर कहीं एक ख्वाब ने आवाज़ दी है फिर कोई चेहरा उकर के आया है। फिर कहीं खोया सा रहता हूँ किसी में फिर कोई आवाज देने आया है। फिर कहीं ग़ुम है...
-
my latest one... हर शाम तन्हाई में किसी का इंतज़ार है इन खुश्क से होटों पे न जाने कैसी प्यास है चाहत यही के राज़ेबयाँ कर दूँ मैं दिल का पर नज़...